History of india
BA Programme Sem 2 ( History of india ) 300 Ce TO 1200 Ce- Unit – 1 || ऐतिहासिक साक्ष्य SOL – DU - NCWEB
विभिन्न प्रकार के ऐतिहासिक साक्ष्य
1- साहित्यिक साक्ष्य
2- पुरातात्विक साक्ष्य
स्रोत या साक्ष्य
- साक्ष्य अतीत के विभिन्न अवशेष हैं जो इतिहास के पुनर्निर्माण में हमारी मदद करते हैं
- अतीत को चित्रित करने के लिए एक ही तरह के साक्ष्यों की व्याख्या अलग-अलग तरीकों से की जाती है
- साक्ष्य ऐतिहासिक व्याख्याओं की आत्मा के रूप में कार्य करते हैं
- इतिहास की जानकारी को साहित्यिक तथा पुरातात्विक साक्ष्यों से प्राप्त किया जा सकता है
- साहित्यिक एवं पुरातात्विक साक्ष्यों की अपनी - अपनी सीमाएं होती हैं
- इसलिए एक से उपलब्ध जानकारी को दूसरे साक्ष्यों से प्राप्त जानकारी से मिलान करना आवश्यक हो जाता है
- भूतल संग्रह , उत्खनन और अन्वेषण ने हमारे अतीत से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण तथ्यों को उजागर किया है
साहित्यिक साक्ष्य
- साहित्यिक साक्ष्य अतीत के बारे में काफी जानकारी देते हैं
- क्योंकि उनमें घटनाओं और विषयों का विस्तृत वर्णन मिलता है
- साहित्यिक साक्ष्यों के कालक्रम लिपि लेखकों के व्यक्तिगत पक्षपात आदि से जुड़ी अनेक समस्याएं हैं
- इसलिए इतिहास की बेहतर समझ के लिए साहित्यिक साक्ष्य को अन्य साक्ष्यों से प्राप्त जानकारी से परिपुष्ट किया जा सकता है
साहित्यिक साक्ष्य
- धार्मिक साहित्य
- गैर धार्मिक साहित्य
- विदेशी साहित्य
धार्मिक साहित्य
- पुराण, महाभारत और रामायण को गुप्त काल में संकलित किया गया था
- आर्यमंजूश्रीकल्पमूलम एक बौद्ध महायान साहित्य है जिसमें भारत के प्रारंभिक से मध्ययुगीन इतिहास का अध्याय है
- तीर्थों, व्रतों, तपस्या , उपवास और महिलाओं से संबंधित व्रत की अनेक विधियों को पुराणों में जोड़ा गया
- पूर्वी भारत में रचित उप पुराण लोकप्रिय मान्यताओं, रीति-रिवाजों और त्योहारों की जानकारी के लिए मूल्यवान है
गैर धार्मिक साहित्य
- गुप्त काल के दौरान संस्कृत भाषा में कविता और गद्य दोनों में संयोजन से अपने शास्त्रीय रूप को प्राप्त किया
- कालिदास ने अभिज्ञानशाकुंतलम्, मालविकाग्निमित्रम् आदि नाटक लिखे और रघुवंश कुमारसंभवम् और मेघदूत जैसी गीतात्मक रचनाएं रची
- इन्हें संस्कृत साहित्य की उत्कृष्ट कृतियां माना जाता है
- विष्णु शर्मा की पंचतंत्र की कहानियां मनोरंजक और व्यंग कथाएं हैं जिनमें जानवर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
- वराह मिहिर की पंच सिद्धांतिका खगोलीय कार्यों और विचारों को प्रस्तुत करती है
- वराह मिहिर की बृहद संहिता ऋतुओ की व्याख्या करती है
- इस अवधि के दौरान बड़ी संख्या में महत्वपूर्ण और प्रभावशाली धर्मशास्त्र लिखे गए
- बाणभट्ट की हर्षचरित
- संध्याकरनंदी की रामचरित
- पदम गुप्त की नवसहसंकचारित
- वील्हड़ विक्रमांकदेवचरित चरित्र इस काल की महत्वपूर्ण जीवनियां है
- कल्हण की राजतरंगिणी कश्मीर के विभिन्न शासकों का विवरण प्रस्तुत करती है
विदेशी साहित्य
- कई चीनी भिक्षु बौद्ध ग्रंथों को एकत्र करने और बौद्ध धर्म से संबंधित महत्वपूर्ण स्थानों की यात्रा करने के लिए भारत आए
- सबसे लोकप्रिय लेखन फ़ाहियान , हेनसांग और इतसिंग के हैं।
- फ़ाहियान ने बड़ी संख्या में ग्रंथों का अनुवाद किया जो उसने भारत में एकत्र किए थे
- उनका यात्रा वृतांत फ़ो क्वो की है
- हेनसांग की यात्रा वृतांत उनकी पुस्तक सी यू की से प्राप्त हुए हैं
- अरबी लेखकों में सुलेमान अल मसूदी , अबू जैद अलबीदूरी और इब्न हॉकल की रचनाएं शामिल है
- अलबरूनी ने अपनी पुस्तक किताब उल हिंद में भारतीय समाज का एक विस्तृत विवरण दिया है
पुरातात्विक साक्ष्य
- पुरातात्विक साक्ष्यों में शिलालेख, सिक्के, मोहरे, मृदभांड, मूर्तिकला और अन्य प्रकार के अवशेष शामिल है
- यह पुरातात्विक खुदाइयों से प्राप्त होते हैं
- इनको अन्वेषण या सतह के संग्रह के माध्यम से भी प्राप्त किया जा सकता है
अभिलेख
- अभिलेख ऐसा लेखन है जो पत्थर, लकड़ी, धातु, हाथी के दांत, कांसे की मूर्तियों ईटों, आदि पर उकेरा जाता है
- अभिलेख के अध्ययन को पुरालेख अध्ययन या पुरालिपि अध्ययन (एपीग्राफी) कहा जाता है
- पुरालेख अध्ययन में अभिलेख को समझना और उसमें मौजूद जानकारी का विश्लेषण करना शामिल है
- गुप्तोत्तर काल में क्षेत्रीय भाषाओं और लिपियों का विकास हुआ
- संस्कृत के अभिलेखों में स्थानीय बोलियों का प्रभाव वर्तनी और शब्दों के प्रयोग में दिखाई देता है
- पल्लव वंश के शासन के दौरान तमिल दक्षिण भारतीय अभिलेखों की महत्वपूर्ण भाषा बन गई
- दक्षिण भारत के विभिन्न हिस्सों में मंदिर की दीवारों पर सैकड़ों तमिल अभिलेख उत्कीर्ण किए गए
- ऐसे हजारों अभिलेख उपलब्ध हैं जिनमें से कुछ पत्थरों पर लेकिन ज्यादातर ताम्रपत्रों पर उत्कीर्ण है
- शाही अभिलेखों में प्रशस्तियां शामिल है
- जो शाही वंशावली और राजनीतिक घटनाओं पर प्रकाश डालती हैं
सिक्के
- सिक्कों के अध्ययन को मुद्राशास्त्र कहा जाता है
- आधुनिक समय में मुद्रा का प्रयोग भुगतान के लिए किया जाता है
- माल या सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए मुद्रा को स्वीकार किया जाता है
- कृष्ण घाटी के इक्ष्वाकु वंश ने सात महान सिक्कों के अनुरूप सीसा के सिक्के जारी किए
- गुप्त राजाओं ने अच्छी तरह से निष्पादित सोने के सिक्के जारी किए
- समुद्रगुप्त और कुमारगुप्त के सिक्कों के उदाहरण उल्लेखनीय है
- इसमें समुद्रगुप्त को वीणा बजाते हुए दिखाया है
- गुप्त सिक्कों के पीछे की ओर धार्मिक चिन्ह है जो राजाओं की धार्मिक संबद्धता को दर्शाते हैं
- कभी-कभी सिक्के राजाओं के जीवन संबंधी विवरण प्रस्तुत करते हैं
- गुप्त राजा चंद्रगुप्त प्रथम ने एक लिछवि राजकुमारी से शादी की और यह विवरण सिक्कों से प्राप्त होता है
- समुद्रगुप्त और कुमारगुप्त प्रथम द्वारा किया गया अश्वमेध यज्ञ की जानकारी सिक्कों से प्राप्त होती है।
साक्ष्यों की सीमाएं
- निश्चित तारीख का न होना
- अभिलेख कम है जिससे ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं होती
- व्यवस्थित खुदाई का ना होना
- सिक्के, मूर्तियां मूल स्थान पर नहीं पाई गई है जिससे उनका वास्तविक महत्व पता लगाना मुश्किल हो जाता है
- अभिलेख टूटे – फूटे मिलना
- अभिलेखों पर अंकित अक्षर का लुप्त हो जाना
- अक्षरों के हलके ढंग से उत्कीर्ण होने के कारण पढ़ने में समस्या होना
- अभिलेख का नष्ट हो जाना
- अक्षर लुप्त हो जाना
- अक्षर के शब्दों ने वास्तविक अर्थ का ज्ञान न हो पाना
- रोजमर्रा के जीवन की जानकारी न मिल पाना
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